1.
जब बच्चे दम तोड़ रहे थे सरकारी अस्पतालों में
या कि मसला जा रहा था उनका बचपन वातानुकूलित स्कूलों में
स्कूल तिजारत की मंडियों में तब्दील हो रहे थे जब
जब माएँ रो रही थीं जार-जार
अपने फूल से बच्चों के लिए
तब वो अट्टहास कर रहा था
जब वो मुस्कुराता था
तो डर जाते थे कितने ही लोग
सहम जाते थे अपने ही घरों में घुसते हुए
सहमे हुए ये लोग इन दिनों
बदल रहे हैं अपना जायका
ये लोग जिनकी रसोइयों में घुस गया है कोई दादरी
जिनके सीनों पर जम गई है मनों बर्फ
और जिनके घरों के ऊपर सदियों नहीं उगता कोई सूरज
ये लोग इन दिनों
आपस में भी कम बोलते हैं
2.
वो बोलता है तो कमल खिलते हैं
हाथ हिलाता है तो हिल जाती हैं दिशाओं की कोरें
वो चलता है तो चल पड़ते हैं मुल्क तमाम
उसे गुमान है कि ऐसा हो रहा है
उसे गुमान है कि वो खुदा होने को है
वो अपने भाषणों में अक्सर रोता भी है
जहाँ गिरते हैं उसके आँसू
वहाँ फिर कभी घास नहीं उगती